विभाग के बारे में परिचय - अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान, दिल्ली
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विभाग के बारे में परिचय

सर्वकालिक महान विज्ञान आयुर्वेद पूर्णरूप से अपने स्वयं के सिद्धांतों पर निर्दिष्ट किया गया है जो कई आचार्यों द्वारा लंबे समय तक और बार-बार किए गए प्रायोगिक अध्ययनों का परिणाम है और इन सिद्धांतों का वास्तविक कार्यान्वयन एक आयुर्वेद चिकित्सक के लिए सफलता की कुंजी है। इसलिए, इन सिद्धांतों की पूर्ण और गहन जानकारी आयुर्वेद शिक्षा प्रणाली का सबसे आवश्यक भाग है और इस उद्देश्य पर ध्यान केंद्रित करते हुए, आयुर्वेद संहिता और सिद्धांत विभाग प्रारम्भ किया गया है, जो आयुर्वेद शिक्षा का एक अनिवार्य और प्राथमिक घटक है।

अपनी स्थापना के बाद से, संहिता और सिद्धांत विभाग आयु-उपयुक्त संदर्भ में आयुर्वेद की मूलभूत अवधारणाओं और सिद्धांतों को विकसित करने के लिए सतत प्रयास कर रहा है। आयुर्वेद के मूल घटक त्रिदोष, सप्तधातु, त्रिमला, पंचमहाभूत हैं जिन्हें उनके व्यावहारिक  पहलुओं के साथ समझने की आवश्यकता है। इसलिए विभाग क्लासिकल साहित्य यथा चरक संहिता, सुश्रुत संहिता, अष्टांग हृदय को ध्यान में रखते हुए इन मौलिक सिद्धांतों के अध्ययन पर मुख्य रूप से ध्यान केंद्रित करता है। विभाग न केवल क्लासिकल आयुर्वेदिक साहित्य के शिक्षण और सीखने की प्रक्रिया में लगा है बल्कि दर्शन शास्त्र (भारतीय दर्शन), आयुर्वेद के इतिहास की जानकारी भी प्रदान करता है और आयुर्वेद ग्रंथों के शिक्षण का समन्वय संस्कृत भाषा में करता है ताकि स्कालर सैद्धांतिक और नैदानिक दोनों प्रकार से उनके वास्तविक अर्थ और व्याख्या का आनंद उठाने में सक्षम हो सकें। विभाग संहिताओं में वर्णित चिकित्सा सूत्र की तर्ज पर ही विभिन्न रोगों के उपचार के सिद्धांतों का मार्गदर्शन भी करता है। इसके लिए, वैज्ञानिक आधार वाले आयुर्वेदिक सिद्धांत छात्रों को सैद्धांतिक और नैदानिक अभ्यास में समान रूप से लागू करने के लिए प्रेरित करते हैं। विभाग आयुर्वेद की मूलभूत अवधारणाओं के अन्वेषण और वैज्ञानिक सत्यापन के माध्यम से मौलिक और नैदानिक अनुसंधान में भी लगा हुआ है और भावी वैज्ञानिक समुदाय की जरूरतों को पूरा करने के लिए पारंपरिक जानकारी को आत्मसात करने और फैलाने में भी लगा हुआ है। सैद्धांतिक और नैदानिक पहलुओं में विशेषज्ञता अंतर्निविष्ट करने के साथ-साथ, छात्रों को विश्वास और प्रवाह के साथ अपने संवादात्मक और संप्रेषण कौशल को सुधारने के लिए भी प्रशिक्षित किया जाता है। यह विभाग अपनी मौलिकता के अनुरूप आयुर्वेद वाचस्पति (पीजी) एवं आयुर्वेद विद्यावारिधि (पीएचडी) के छात्रों को विषय के प्रति अधिक संवेदनशील एवं जागरूक बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।

दृग्विषय विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट अनुसंधान कार्य करने के लिए संहिताओं और सुसंगत साहित्य में उल्लेख की गयी मूलभूत संकल्पनाएं स्थापित करने में अपना उत्कर्ष स्थापित करना।

लक्ष्य एक संरचित तरीके में आयुर्वेद विज्ञान से सम्पर्क हेतु मूल साधनों के साथ छात्रों को सशक्त बनाना जो उन्हें आयुर्वेद साहित्य की विषय वस्तु की जानकारी में समर्थ बनाएगा और समाज की सेवा करने के लिए उनके क्लिनिकल अभ्यास में इसे अपनाने में उनको समर्थ बनाएगा।

उद्देश्य

  • आयुर्वेद की मूलभूत संकल्पनाओं की जानकारी के लिए विद्यार्थियों को शिक्षा देना।
  • एक भाषा लैब विकसित करना जहां संस्कृत और अन्य विभिन्न क्षेत्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय भाषाओं के मूलभूत तत्व की इसके वैज्ञानिक अन्वेषण के प्रयोजनार्थ खोज की जा सकती है।
  • उन मूल पाण्डुलिपि पर अध्ययन और अनुसंधान के लिए पाण्डुलिपि यूनिट विकसित करना जोकि अभी अन्वेषण किए बिना पड़ी है।